बेवजह घरों से न निकलें, दिशा-निर्देशों का पालन करें: स्वास्थ्य विभाग

कानपुर में स्वास्थ्य विभाग, शासन और प्रशासन भले तमाम दावे करे लेकिन शहर में कोरोना से निपटने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। करीब 54 लाख की आबादी वाले इस शहर में 54 ही वेंटिलेटर हैं। ऐसे में यह बात तो यह है कि आपकी सुरक्षा आपके ही हाथ में है। बेवजह घरों से न निकलें, दिशा-निर्देशों का पालन करें। क्योंकि गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर पर ही रखा जाता है। कृत्रिम सांस देने के साथ ही हार्टबीट, पल्स रेट समेत तमाम बिंदुओं पर नजर रखने के लिए वेंटिलेटर अहम है। प्रदेश में भी कोरोना का वायरस तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि इसकी तुलना में स्वास्थ्य सेवाएं न के बराबर हैं। शहर के सरकारी अस्पतालों में बेड सहित अन्य सुविधाएं तो दूर वेंटिलेटर भी पर्याप्त नहीं हैं। संक्रामक रोग चिकित्सालय (आईडीएच) में मात्र दो वेंटिलेटर । कोराना के मरीजों की जांच की सुविधा सिर्फ इसी अस्पताल में है और इसी में इलाज शुरू होता है। उर्सला में पांच वेंटिलेटर खराब उर्सला में आठ वेंटिलेटर हैं. पर पांच वेंटिलेटर लंबे समय से खराब हैं। उधर, अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कंपनी से कई बार इन्हें ठीक करने के लिए कहा गया, पर पुराने होने की वजह से कंपनी ने इन्हें ठीक करने से इनकार कर दिया है। ऐसी है वेंटिलेटर की स्थिति संक्रामक रोग चिकित्सालय : 02 हैलट : 44 मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल : 05 उर्सला : 03 इनके अलावा कार्डियोलॉजी में भी वेंटिलेटर हैं, पर यहां हार्ट पेशेंट का ही इलाज होता है।) हैलट के आईसीयू में 44 वेंटिलेटर हैं। इसके अलावा आईडीएच में दो और मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में पांच वेंटिलेटर हैं। डॉ. आरके मौर्या, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, हैलट हमारे अस्पताल में तीन वेंटिलेटर चालू हालत में हैं। अस्पताल में कार्डियोलॉजी विंग के लिए दो वेंटिलेटर आए हैं। हालांकि कंपनी ने अभी तक इंस्टाल नहीं किए । डॉ शैलेंद्र तिवारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, उर्सला